बहुत से निवेशक जिनसे मैं मिलता हूँ चाहते हैं कि मैं उनका स्टॉक पोर्टफोलियो देखूं. ज़्यादातर पोर्टफ़ोलियोस संकट में होते हैं.
इसका एक बड़ा कारण है कि ज़्यादातर लोग बिना सोचे समझे अपने स्टॉक्स खरीदते हैं.
मुझे अभी भी याद है एक छोटी सी बात-चीत जो मैंने अपने दोस्त के साथ कुछ साल पहले की थी. मेरा दोस्त जो एक डॉक्टर है, हमारे स्कूल के अच्छे छात्रों में से एक था. जब मैं उससे मिला तो मुझे पता चला कि उसे स्टॉक्स में निवेश के बारे में कुछ नहीं पता था.
उसने मुझे बताया कैसे 2008 में उसने अपना बहुत सारा पैसा अपने एक मरीज़ के सुझाव पर, बिना और कुछ सोचे समझे, निवेश किया था. उस समय स्टॉक मार्केट्स तेजी पर थे और मेरे डॉक्टर दोस्त के कई निवेशक दोस्त खूब पैसा बना रहे थे.
खैर, क्यूंकि उसने अपना पैसा बिना किसी एनालिसिस के लगाया था, उसका नतीजा यह हुआ कि उसकी जमा पूँजी का एक बड़ा हिस्सा 2008 स्टॉक मार्किट क्रैश में डूब गया.
कभी कभी मुझे लगता है कैसे समझदार लोग भी अपनी कमाई को किसी चीज़ में डाल देते हैं जिसका उन्हें कोई अंदाज़ा नहीं होता.
इनमें से कई लोग वर्षों तक मेहनत करके सफलतापूर्वक डॉक्टर, बिज़्निस्मेंन इत्यादि बनते हैं. और फिर एक छोटे से दौर में स्टॉक मार्किट में सट्टेबाज़ी कर अपना सब कुछ खो बैठते हैं. पिछले कई सालों में मैं ऐसे कई लोगों से मिला हूँ जो बताते हैं कि वे ‘निवेश’ कर रहे हैं, जबकि वे सब सट्टेबाज़ी कर रहे होते हैं.
वैल्यू इन्वेस्टिंग के गुरु बेंजामिन ग्राहम को इन सब सट्टेबाज़ों की बातें सुनकर मृतावस्था में भी धक्का लगता होगा!
ग्राहम वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने निवेश की परिभाषा दी और उसे सट्टेबाज़ी से अलग बताया, जो की मेरा डॉक्टर दोस्त कर रहा था.
पर ग्राहम की परिभाषा तक पहुँचने से पहले मैं आपको निवेश और सट्टेबाज़ी के बीच का अंतर बताना चाहूंगा.
मैं पहले आपसे पूछना चाहूंगा – आपको क्या लगता है निवेश और सट्टेबाज़ी में क्या अंतर है?
पहले तो आपको लगता है की उत्तर काफी सरल है क्योंकि ये अंतर जग जाहिर सा है. खासकर जबकि आपने ग्राहम की परिभाषा और सफल निवेशक पर कितने ही लेख पढ़ लिए होंगे.
पर फिर भी, कलम लेकर कागज़ पर लिखने की कोशिश कीजिये – क्या अंतर है निवेश और सट्टेबाज़ी में?
अपना समय लेकर लिखिए. ऐसा हो सकता आपको उत्तर साफ़ नज़र नहीं आए और आप निराश हो जाएँ।
आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि “निवेश” और “सट्टेबाज़ी” जैसे शब्द तबसे इस्तेमाल में हैं जबसे जोसफ वेगा ने वर्ष 1668 में कंफ्यूशन्स ऑफ़ कंफ्यूशन्स नामक किताब लिखी थी, जो स्टॉक एक्सचेंज बिज़नेस पर दुनिया की सबसे पुरानी किताबों में से है. उनकी किताब में वेगा ने तीन वर्ग के लोगों के बारे में लिखा है –
१. अमीर बिज़्नेस्मेन, जो धनवान निवेशक थे,
२. व्यापारी, जो कभी कभी सट्टेबाज़ी करते थे, और
३. जुआरी, जो हर समय सट्टेबाज़ी या गैंबलिंग करते थे
फिर, 250 सालों के बाद फिलिप कैरट ने एक किताब लिखी जिसका नाम था ‘दी आर्ट ऑफ़ स्पेकुलेशन’ जिसमे उन्होंने लिखा की उनका विश्वास था की सट्टेबाज़ी और निवेश में अंतर होता है. यह अंतर इंसान के उद्देश्य में दिखाई देता है. जैसा की उन्होंने लिखा –
…वह इंसान सट्टेबाज़ है जो एक स्टॉक 60 डॉलर्स में खरीदता है यह सोचकर की वो इसे मुनाफे में बेचेगा. और वह इंसान जो 95 डॉलर्स में एक स्टॉक खरीदता है यह सोचकर की उसे डिविडेंड रिटर्न 8% से बेहतर मिलेगा, वह निवेशक है.
सरल शब्दों में कैरट यह कह रहे थे की निवेशक वह है जो बिज़नेस की फंडामेंटल्स के बारे में सोच रहा है. और सट्टेबाज़ वह है जो सिर्फ स्टॉक के दाम के बारे में.
उनका लिखा था, “वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव की उम्मीद में खरीद या बिक्री करने को सट्टेबाज़ी कहा जा सकता है.”
अब चलते हैं बेंजामिन ग्राहम की परिभाषा की ओर, जिन्होंने 1934 में वैल्यू इन्वेस्टिंग की सबसे महान किताब ‘सिक्योरिटी एनालिसिस’ में निवेश और सटेबाज़ी के बीच के अंतर को समझाया। ग्राहम लिखते हैं –
निवेश वह है, जो पूरी तरह से एनालिसिस करने पर आपके प्रिंसिपल या मूलधन की सुरक्षा और संतोषजनक रिटर्न का वादा करता है। जो निवेशक इन आवश्यकताओं को पूरा नहीं करते हैं, वे सट्टेबाज़ी कर रहे होते हैं.
यही दृष्टिकोण महान निवेशक जॉन बोगल अपनी किताब ‘दी क्लैश ऑफ़ कल्चर्स’ में दोहराते हैं. वे लिखते हैं कि कई लोग यह सोचते हैं की निवेश और सट्टेबाज़ी में कोई अंतर नहीं. परन्तु उनके लिए निवेश का मतलब बिज़नेस को लॉन्ग टर्म ओनरशिप की नज़र से देखना होता है, और सट्टेबाज़ी का मतलब स्टॉक्स को शार्ट टर्म में उनकी कीमतें देखकर खरीदना और बेचना होता है.
अब आते हैं वारेन बफ़ेट की ओर जिन्होंने कहा है –
निवेश और सट्टेबाज़ी के बीच की रेखा, जो कभी भी स्पष्ट नहीं होती है, तब और भी अस्पष्ट जाती है जब अधिकांश निवेशक शार्ट टर्म में स्टॉक मार्केट में अच्छे रिटर्न प्राप्त करते हैं. सहजता से कमाया हुआ पैसा हमारी तर्कसंगतता को धुंधला देता है. उस तरह के एक मस्त अनुभव के बाद, सामान्य रूप से समझदार लोग भी सट्टेबाज़ी के बहाव में बह जाते हैं. उनको यह पता होता कि उस बहाव – जहां वे खराब स्टॉक्स को ऊंचे दामों में खरीद कर उनमें सट्टेबाज़ी कर रहे होते हैं – में वे डूब भी सकते हैं, परन्तु वे एक मिनट के लिए भी उस मस्ती भरी पार्टी को छोड़ना नहीं चाहते।
सिंड्रेला की तरह ये निवेशक आधी रात से कुछ सेकंड पहले ही उस पार्टी को छोड़ने की योजना बनाते हैं। लेकिन एक समस्या है – वे एक ऐसे कमरे में नृत्य कर रहे हैं जिसमें घड़ियों के कोई हाथ नहीं है।
आपको क्या चाहिए?
बस एक मिनट के लिए सोचिये, और फिर आप शर्मिंदा नहीं महसूस करेंगे कि आप चाहते हैं आपका निवेश आपको आपके रिटायरमेंट के सालों में मदद करे. आप इस बात से भी शर्मिन्दा नहीं होंगे की आप अपने बच्चों को या दूसरों को आर्थिक रूप से समर्थन करना चाहते हैं.
पर अगर आप यहां दूसरे निवेशकों की तरह हैं, तो आप कुछ शर्मिंदाजनक चीज़ें चाहते हैं. जैसे की आप निवेश से हैसियत कमाना चाहते हैं. हो सकता है की आप अपना निवेश सबसे बेहतरीन स्टॉक में करना चाहते हों, जिसकी प्रशंसा हो और आपको लगे की यह ऊंची हैसियत जताता है.
मैंने ऐसे बहुत से निवेशक देखे हैं जो कीमती स्टॉक्स में निवेश करते हैं, क्योंकि दूसरे ‘सफल’ निवेशकों ने इन स्टॉक्स में अपना पैसा लगाया है.
ये दूसरों को स्टॉक मार्केट में जल्दी पैसा बनाते देखने की ईर्ष्या हो सकती है, या भविष्य में अच्छे रिटर्न न कमाने का पछतावा। पर आप अपने चारों ओर नज़र घुमाएं तो आप पाएंगे की कई सफल (शायद, भाग्यशाली) निवेशक भी यही चाहते हैं – सट्टेबाज़ी करके धन कमाएं, एक आखरी बार!
हम शांति से गौर करेंगे तो पाएंगे कि हम निवेश और सट्टेबाज़ी से आनंद का अनुभव चाहते हैं, और हम दूसरों को इस गेम में हारने का रोमांच भी चाहते हैं.
लेकिन सच तो यह है की स्टॉक मार्किट एक खतरनाक जगह है रोमांच ढूंढने के लिए, और ये रोमांच बहुत महंगे भी हो सकते हैं. फिर भी हम दाम देने के लिए तैयार हैं!
ज़्यादातर लोग स्टॉक मार्केट में अपने आप को सबसे अच्छा खिलाडी समझते हैं. उन्हें सिर्फ जीतने की चाह होती है.
आखिर, खेल में अगर आप जीतते हैं, तभी आपको धन, शौहरत और विज्ञापन मिलते हैं. चौथे स्थान पर जो है, उसे कुछ नहीं मिलता. पहले स्थान से आप गौरवशाली और प्रभावशाली भी महसूस करते हैं.
इसीलिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि एक इंटरनेट ब्रोकर ने अपने विज्ञापन में स्टॉक मार्केट निवेश और खेल प्रतियोगिताओं के बीच संबंध बनाया, और लिखा – “यदि आप ऑनलाइन निवेश शुरू करने के लिए सही समय का इंतजार कर रहे हैं, तो हमारे पास कहने के लिए एक बात है। जल्दी भागिए!”
देखिये, स्टॉक मार्केट की दौड़ में घुसना, उससे धन कमाना, और वह भी जल्दी, बहुत आकर्षक लगता है. जीतने की इच्छा भी बहुत होती है. पर इसके परिणाम संकटपूर्ण और उदासीन हो सकते हैं. मुझे लगता है यह आपको पहले से ही पता है, नहीं?
मार्के ट्वेन ने कहा है की दो वक़्त ऐसे हैं जब हमें सट्टेबाज़ी नहीं करनी चाहिए – जब हम करने की क्षमता न रखते हों, और जब हम रखते हों. क्योंकि ऐसा है, हमें निवेश और सट्टेबाज़ी के बीच का अंतर समझना बहुत ज़रूरी है।
और सफल निवेशक के ज़रिये मैं आपकी इसी में मदद करने की कोशिश करूंगा।
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